श्री बालाजी की आरती
जय हनुमत वीरा, स्वामी जय हनुमत वीरा ।
संकट मोचन स्वामी, तुम हो रणधीरा ।।
पवन-पुत्र अंजनी-सुत, महिमा अति भारी ।
दुःख दारिद्रय मिटाओ, संकट छ्य हारी ।।
बाल समय में तुमने, रवि को भक्ष लियो ।
देवन स्तुति कीन्ही, तुरतहिं छोड़ दियो ।।
कपि सुग्रीव राम संग, मैत्री
संग, मैत्री करवाई ।
अभिमानी बलि मेट्यो, कीर्ति रही छाई ।।
जारि लंक सिय-सुधि ले आए, वानर हर्षाये ।
कारज कठिन सुधारे, रधुबर मन भाये ।।
शक्ति लगी लक्ष्मण को, भारी सोच भयो ।
लाय संजीवन बूटी, दुःख सब दूर कियो ।।
रामहिं ले अहिरावण, जब पाताल गयो।
ताहि मारि प्रभु लाये, जय जयकार भयो ।
राजत मेहंदीपुर में, दर्शन सुखकारी ।
मंगल और शनिश्चर, मेला है जारी ।।
श्री बालाजी की आरति, जो कोई नर गावे ।
कहत इन्द्र हर्षित मन, वंछित फल पावे ।।
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