विभिन्नताओं की मिसाल बने स्वामी विवेकानंद: उनका जीवन परिचय


विभिन्नताओं की मिसाल बने स्वामी विवेकानंद: उनका जीवन परिचय

स्वामी विवेकानंद एक महान हिन्दू संत, योगी और ज्ञानी थे। उन्होंने एक ऐसी विभिन्नताओं से भरी जीवन जी, जो आज भी हमे प्रेरणा देती है। विवेकानंद के जीवन की कहानी हमें यह सिखाती है कि हमारा ब्रह्मप्रेम और ज्ञान व्यक्त किवस्था और की परिस्थियों में हमेशा मौजूद रहना चाहिए।

स्वामी विवेकानंद का जन्म १२ जनवरी १८६३ में हुआ था। उनका असली नाम नरेंद्रनाथ था। विवेकानंद ने बचपन में ही आध्यात्मिकता की ओर अपना रुझान दिखाया था। वह एक उच्च गणितीय बुद्धिमत्ता के द्वारा ईश्वरीयता की चर्चा किया करते थे।

स्वामी विवेकानंद का जीवन में एक बड़ा परिवर्तन उनके बड़े भाई मातृमोहन बिस्वारन्य की मृत्यु के बाद हुआ। इस दु:खपूर्ण समय में उनकी जीवनशैली में बड़ा बदलाव आया और वे संन्यास लेने का निर्णय ले गए। उन्होंने अपना नाम विवेकानंद रखा, जो दो शब्दों का मिश्रण है – ‘विवेक’ (बुद्धि) और ‘आनंद’ (आनंद)। यह नाम उनकी विचारधारा को और उनकी तत्वज्ञानी व्यक्तित्व को खूबसूरती से प्रकट करता है।

स्वामी विवेकानंद ने अपना जीवन सेवा में समर्पित कर दिया। उन्होंने विश्व भर में अपने विचारों का प्रचार किया और लोगों को एक ऊँचा मंच दिया जिसपर वे अपनी आवाज सुना सकते थे। उन्होंने संस्कृत साहित्य, ब्रह्मज्ञान, धर्म और आध्यात्मिक ज्ञान में गहराई तक का अध्ययन किया।

स्वामी विवेकानंद ने सन् १८९३ में विश्व धर्म सम्मेलन को आयोजित किया, जिसमें विभिन्न धर्म में सम्मान और भाईचारे का माहौल था। वे उन्हें यह सिखाना चाहते थे कि धर्म के नाम पर किए जाने वाले आपसी विरोध और हिंसा गलत हैं।

स्वामी विवेकानंद को विभिन्नताओं के समानवयस्क बनाने वाली उनकी संदेश बहुत महत्वपूर्ण है। वे हमें यह सिखाते हैं कि हमें खुद को सीमित नहीं रखना चाहिए, बल्कि हमें सभी विभिन्नताओं को स्वीकार करना चाहिए। विवादों और असहमति की बजाय हमें सभी को एकता, सम्मान और प्यार की ओर प्रवृत्त करना चाहिए।

स्वामी विवेकानंद की विभिन्नताओं की मिसाल देश और विदेश में अद्भुत रूप से प्रभावी रही है। उन्होंने अपने शिष्यों को योग, ध्यान और वेदांत की संपूर्णता का अध्ययन करने की प्रेरणा दी। विवेकानंद के संदेश ने हिन्दू धर्म को विदेशी दृष्टिकोण से देखने का मार्ग प्रशस्त किया और विदेशियों को यह दिखाया कि यह एक प्रकार की ब्राह्मणता नहीं है, बल्कि एक आध्यात्मिक ज्ञान की शोध है।

स्वामी विवेकानंद का जीवन हमें यह सिखाता है कि हमेशा अपने आप को सामान्य रखने की कोशिश न करें। हमें स्वीकार करना चाहिए कि हम सभी अद्वितीय हैं और हमारी विभिन्नताओं की वजह से हम धन्य हैं। स्वामी विवेकानंद ने हमें एक सक्षम और समृद्ध जीवन जीने का नया मार्ग दिखाया है।

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