डॉ भीमराव आंबेडकर: भारतीय संविधान के निर्माता की अनसुनी कहानी


डॉ भीमराव आंबेडकर: भारतीय संविधान के निर्माता की अनसुनी कहानी

भारत के इतिहास में कई महापुरुष आए और गए, पर उनमें से एक व्यक्ति थे जिनके योगदान को उच्चतम सम्मान प्राप्त है। हालांकि वे आमतौर पर संविधान और मानवाधिकार के मित्र जाने जाते हैं, लेकिन उन्हें भारतीय संविधान के निर्माता के रूप में सामान्यतः नहीं जाना जाता है। वे हैं डॉ भीमराव आंबेडकर, जिनके योगदान को अभी तक गहरे डरावने सिथियों में छुपी है।

भारतीय संविधान के निर्माता की कहानी ऐसी है जिसे बहुत कम लोग जानते हैं। भारतीय समाज में जन्मे डॉ आंबेडकर की शुरुआती जीवन के योगदानों में से एक नेहरूवादी आंदोलन का प्रशंसक होना था। वे गणितज्ञ, बौद्ध धर्मगुरु और विचारक थे जिन्होंने भारतीय संविधान की संगठनता और सामरिक विचारों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

यह आदर्शवादी व्यक्ति इंग्लैंड के दर्शनिक और अध्यापक थे जिन्होंने अपनी विदेशी शिक्षा के दौरान पश्चिमी विचारधारा में रुचि प्राप्त की। इससे पहले वे संविधान निर्माण कार्य में जुटे थे, आमतौर पर उन्हें ऐसा नहीं माना जाता है क्योंकि उनकी सोच और दृष्टिकोण उनसे अलग थी।

भारतीय संविधान की रचना में उनका योगदान इतना महत्वपूर्ण है कि वह एक नई सहयोगी राष्ट्रियता का नींव रखता है। आंबेडकर की संविधानिक लड़ाई उसके जन्म नगर व इरावाडी नदी की किनारे सदियों तक लोगों में जोबनियों के घोर गुलामी और न्याय व्यवस्था के प्रति गहरे रोष को एकत्र करती रहेगी।

डॉ आंबेडकर का असली योगदान उनका भाषण और विचारधारा के माध्यम से बढ़ा था। वे शिक्षा, स्वावलम्बन, स्त्री समानता, जाति और वर्ण आधारित भेदभाव के खिलाफ सशस्त्र आंदोलन करने का समर्थक थे। उन्होंने सबसे पहले भारत की जनता का समान अधिकार का बोलबाला उठाया और भारतीय संविधान में आजादी, स्वतंत्रता और न्याय की मूलभूत प्राथमिकताओं को जारी रखने का भी साथ दिया।

डॉ आंबेडकर के योगदान का महत्व समझने के लिए हमें उनके राष्ट्रीय आंदोलन, संविधान निर्माण और उसके उपयोग को ध्यान में रखना चाहिए। उनका महान कार्य उनकी मृत्यु के बाद भी चलता रहा है और वह अगली पीढ़ी में महत्वपूर्ण अधिकारों की एक अच्छी प्राथमिकता है।

डॉ भीमराव आंबेडकर का संविधान निर्माण कार्य इतिहास की पृष्ठभूमि में अच्छे से स्थापित है, हालांकि यह उच्चतम संविधानिक न्यायालय में संविधान के प्रावधानों को बदल देने और संविधान की पुनर्विमर्श करने के जरिए उनके आदर्शों को साकार करने की आवश्यकता है।

कुछ दोस्त संविधान को उपेक्षा, नींव पर खड़ा करने का काम मानते हैं, जबकि कुछ दूसरे आंबेडकर के धर्म को खत्म करके संविधान की कदर करते हैं। भारतरत्न से सम्मानित इस धर्म गुरु को उत्कृष्ट भारतीयों के सामरिक उपयोग और संविधान को ठीक से लागू करने के लिए हमेशा समर्पित पंथों की प्रेरणा देता रहेगा। उनके योगदान के साथ, डॉ आंबेडकर भारतीय संविधान के संरचनात्मक निर्माता हैं और उन्हें भारतीय इतिहास में गहरे आदरणीय दर्जा प्राप्त है।

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