स्वामी विवेकानंद: भारतीय संस्कृति का प्रतिष्ठित दूत


स्वामी विवेकानंद: भारतीय संस्कृति का प्रतिष्ठित दूत

स्वामी विवेकानंद, एक प्रमुख भारतीय महापुरुष, संन्यासी और साधक थे। वे संस्कृति, धर्म और दर्शन के मामले में अत्यंत अद्यतित थे, और उन्होंने भारतीय संस्कृति को पूरे विश्व में प्रतिष्ठा दिलाने का कार्य किया। उनका जीवन और संदेश अब तक बहुत अधिक प्रभावशाली है और लोगों को प्रेरित करता है।

स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी, 1863 में कोलकाता में हुआ था। उनका असली नाम नरेंद्रनाथ था, हालांकि उन्हीं की गुरु के सम्मान में उनका नाम बदल दिया गया और वे स्वामी विवेकानंद के रूप में प्रस्तुत किए गए। अपने जीवन के पहले अवधि में, उन्होंने एक सांस्कृतिक संगठन बनाने की कोशिश की, जिसका नाम ब्रह्मसमाज था। हालांकि, बाद में उन्होंने रामकृष्ण मिशन और बेलूर मठ की स्थापना की, जहां आध्यात्मिक और सामाजिक कार्यों का केन्द्रीय निकाय उभारा गया।

स्वामी विवेकानंद की जीवन यात्रा में उन्होंने विश्व के अनेक देशों का भ्रमण किया, जिसमें उन्होंने अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, जापान, चीन, एवं दक्षिण अफ्रीका को भी शामिल किया। वे विदेशी नगरिकों और विद्यार्थियों को अपने उद्देश्यों, विचारों और धार्मिक मूल्यों के बारे में जानने का समर्थन करते थे। उनके प्रभावपूर्ण भाषणों से प्राचीन भारतीय संस्कृति और धर्मों के मूल्यों की चर्चा करने का नया मतवाद पैदा हुआ।

स्वामी विवेकानंद के प्रमुख संदेश में से एक उनकी आत्म-विश्वासपूर्ण शक्ति को मजबूत बनाने की बात थी। उन्होंने कहा था, “जगत के प्रतिष्ठित मनुष्य वह है जो खुद की शक्ति के बारे में विश्वास करता है।” वे युवाओं को उद्धार करने, उन्नति करने और देश की प्रगति में योगदान देने के पक्ष में थे।

उन्होंने स्त्री शिक्षा को भी महत्वपूर्ण बनाने का जूनून रखा। उनका कहना था, “यदि स्त्रियों को शिक्षा मिल जाती है, तो एक समाज को सम्पूर्ण शक्ति मिल जाती है।” वे आर्य समाज की सहायता से भारत में स्त्रियों की शिक्षा की जगह बदलने के लिए प्रयास करते थे।

विवेकानंद ने भारतीय संस्कृति के आधारभूत मूल्यों जैसे अहिंसा, सद्भावना, अन्याय के के विरुद्ध लड़ाई, स्वतंत्रता के मूल्य, और तदंतरवाद के खिलाफ टिकाऊता को प्रासंगिकता दी। वे स्वयं को एक सच्चा भारतीय समझते थे, और उन्होंने आपसी एकता की महत्ता को बताया।

स्वामी विवेकानंद की मृत्यु सन् 1902 में हुई। हालांकि, उनकी विचारधारा और आदर्शों की प्रभावशाली चर्चा अब तक जारी है। उनका प्रभाव दुनिया भर में महसूस हो रहा है और उनकी दिशा नरेंद्र मोदी ने अपने मन के साथ साथ अपने राष्ट्र के ऊपर भी रखी है।

स्वामी विवेकानंद राष्ट्रीय एकता, सद्भाव और बौद्धिक विकास के लिए संघर्ष करने के लिए अग्रणी उदाहरण थे। उनकी अमर आत्मा और प्रेरणा के साथ, हमें उनके संदेशों को याद रखना चाहिए और भारतीय संस्कृति की महानता को आत्मसात करने का प्रयास करना चाहिए।

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