कल्पना चावला: भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी की पहली महिला


कल्पना चावला: भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी की पहली महिला

कल्पना चावला, जिन्हें भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी (ISRO) की पहली महिला के रूप में जाना जाता है, भारतीय इतिहास के उच्चतम गर्व के अधिकारी हैं। उनका जन्म 1 जुलाई 1961 में हुआ था और उन्होंने 7 फरवरी 2003 को माइनोट डिसास्टर में अपनी जान गवाने के पश्चात बाहरी जगत में अत्यंत प्रशंसा पाई।

कल्पना चावला का जीवन प्राथमिकता के रूप में हमेशा से “पुरा विश्वास रखना” रहा है। उनका जन्म हिसार, हरियाणा में हुआ था और उन्होंने अपने छोटे गांव में बचपन बिताया। इस मात्रा में ही कल्पना ने खुद को अद्वितीय संदर्भ से बचपन की उत्कटता से अलग करने शुरू किया, जो उन्हें अग्रश्मी बनाने में मदद की।

माता-पिता के संरक्षण में कल्पना ने अपना शैक्षिक कैरियर प्रारंभ किया और पचीस वर्ष की आयु में उन्होंने अपनी ईंटे पाठशाला में परास्त कर दी। हवाई जहाज की पायलट बनने का सपना देखते हुए, वह अपनी शिक्षा को ओरल और मैकेनिकल इंजीनियरिंग में मास्टर बनाने के लिए अमेरिका जा रही थी।

1982 में, कल्पना चावला अमेरिका में जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग डिग्री हासिल की। इसके बाद, उन्होंने टेक्सास ऑक्सिडेंटल कंपनी में इंजीनियर की पद पर कार्य किया और अपने शिक्षा समय के दौरान इंस्ट्रुमेंटेशन इंजीनियरिंग के लिए काम करने का अवसर पा लिया।

1988 में, कल्पना को विश्वविद्यालय ऑफ हौस्टन से फ्लाइट और स्पेस साइंस में मास्टर डिग्री दी गई। उन्होंने एनापोलिस में डिग्री प्राप्त की और साइंस के क्षेत्र में डॉक्टरेट प्राप्त किया। उनकी कामयाबी और प्राथमिकता ने उन्हें नासा (नेशनल एरोनॉटिक्स और स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन) में नौकरी दिलाई।

1997 में, कल्पना चावला स्पेस शटल मिशन स्टीएस-87 में एक अन्तरिक्ष उड़ान के लिए नियुक्त हुईं। वह भारतीय मूल की महिला होकर गर्व महसूस कर रही थीं, क्योंकि यह अंतरिक्ष मिशन उस समय अमेरिका में सबसे लंबी मिशन थी। उन्होंने अपने अंतरिक्ष यात्रा में 376 घंटे, 34 मिनट और 19 सेकंड बिताए, जिसमें वे पृथ्वी के आसान घिराव पथ से 6,744 किलोमीटर की दूरी पर गए।

कल्पना ने अपने जीवन में जीती गई मुश्किलों का सामना किया, और उन्होंने धैर्य के साथ अपने संकल्प को पूरा किया। उन्होंने बहुत कम समय में अपने शिक्षा की डिग्री प्राप्त करने का निर्णय लिया और अपनी संघर्षमय यात्रा में खुद को काबू में रखा।

हालांकि, इन सभी प्रशंसापात्रों के बावजूद, उनका अध्यात्मपर्याना यात्री उद्धरण आत्मसात करता है। कल्पना ने अपनी किताब “एस्सैवं छेत्तेकर” में लिखा, “व्यक्ति बनने का प्रयास, सदा सुनिश्चित नहीं होता। शोर राजिऩीति और विनीति के खाके में दबे हुए लोग उन व्यक्तियों को नहीं जान पाते हैं, जो अपनी अद्भुतता को अभिव्यक्त कर रहे हैं।”

कल्पना चावला की मृत्यु के बाद, उनकी यात्रा धरती पर इतनी गहराई छोड़ गई कि उन्हें हमेशा स्मरण रखा जाएगा। कल्पना ने भारतीय और अमेरिकी राष्ट्रीयता की भी प्राप्ति की, जो उनका संघर्ष और कंठस्थ कार्यों को सराहता है।

भारतीय अंतरिक्ष रसायन गवर्नमेंट के महानिदेशका पद को प्राप्त करने वाली कल्पना चावला ने अपने लाखों प्रशंसकों की संख्या में उपशमता चोगी और आदरणीयता और प्रेरणा का आदान किया। उनकी कड़ी मेहनत, आत्मविश्वास और अद्वितीय योगदान के चलते उन्हें दुनिया भर में मान्यता मिली है। कल्पना चावला की यात्रा यही सिद्ध करती है कि विजय की और जाने के लिए नकद को देखना आवश्यक नहीं है, बल्कि स्वप्न और संकल्प की आवश्यकता होती है। वह एक महान, प्रेरणादायक महिला थीं जिन्होंने भारतीय व्यक्तित्व को सालांगन किया और स्त्रियों के लिए प्रेरणा की स्रोत बनी।

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