डॉ भीमराव आंबेडकर: भारतीय जाति प्रथा के खिलाफ संघर्ष की ओर एक महान यात्रा


डॉ भीमराव आंबेडकर: भारतीय जाति प्रथा के खिलाफ संघर्ष की ओर एक महान यात्रा

डॉ भीमराव आंबेडकर एक महान स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक, आदिवासी अधिकारी, विचारक और न्यायाधीश थे। उनके जीवन में कई महत्वपूर्ण यौगिक थे, लेकिन उनके संघर्ष भारतीय जाति प्रथा के खिलाफ हुए थे।

आंबेडकर जन्म से ही एक दलित परिवार में थे और उन्हें अपने बचपन से ही जाति भेदभाव, उत्पीड़न और अस्मिता का महसूस होता था। अपने जीवन के पहले ही दशकों में, उन्होंने अच्छी शिक्षा प्राप्त की, इससे खुद को उत्कृष्ट स्थान दिया और दलित समुदाय के उद्धार के लिए अपनी शक्ति और ज्ञान का इस्तेमाल करने की सोच उन्हें प्रेरित की।

डॉ आंबेडकर की महान यात्रा 1907 में शुरू हुई जब उन्होंने यूरोप में अपनी उच्चतम शिक्षा की शुरुआत की। इसके बाद, उन्होंने अपने अतीत में जाति प्रथा से संघर्ष करने का निर्णय लिया। उन्होंने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ भी दलितों की आराक्षण के पक्ष में अभियान चलाया। वे ब्रिटिश शासन को जाति प्रथा कोटर मीठेवी प्राप्त करने का आदेश देने के लिए प्रेरित करने के लिए लंदन गए। इसके पश्चात, उन्होंने सत्याग्रह की राष्ट्रीय एकता समरेखन संगठन, बहिष्कार फिलिइद भारतीयों का राष्ट्रीय संघ और दलित संघ की स्थापना की।

डॉ आंबेडकर की सबसे महत्वपूर्ण यात्रा 1930 में शुरू हुई जब वह महात्मा गाँधी के साथ दण्डों की मुक्ति के पक्ष में चलने की आपील की। उन्होंने ब्रिटिश सरकार से भीख मांगने की बाज़ी छोड़कर विश्वास की माँग की कि वे राजनीतिक स्वतंत्रता के बाद भी दलितों के लिए आराक्षण के पक्ष में सामान्य चुनाव करेगी। डॉ आंबेडकर की इस मुक्ति यात्रा ने नहीं सिर्फ दलित समुदाय के प्रति संघर्ष की ओर ध्यान केंद्रित किया, बल्कि यह उनके कार्यकाल की सबसे बड़ी ओर पहुँच थी।

आंबेडकर की भूमिका भारतीय संविधान के निर्माण में भी महत्वपूर्ण थी। उन्होंने संविधान समिति का अध्यक्ष पदभार संभाला और वाद-विवाद करने में सक्षम रहे। उन्होंने महिलाओं के अधिकारों, दलितों के सामाजिक और आर्थिक स्वराज्य, स्वतंत्र न्यायपालिका की स्थापना और धर्मनिरपेक्षता का समर्थन किया।

डॉ भीमराव आंबेडकर दलित समुदाय के लिए एक महान नेता और महान योद्धा थे। उनके योगदान ने समाज में गरीबी, न्याय की कमी और भेदभाव के खिलाफ एक नया ज्ञान-राज मार्ग प्रदर्शित किया। उनके संघर्षों और महान यात्रा ने न केवल उनके दलित बंधुओं की स्थिति को सुधारी, बल्कि पूरे समाज को भी एक नया आदर्श स्थापित किया। आज भी, डॉ आंबेडकर को सम्मानित करने के रूप में दलित-बहस्त्रिय समुदाय उनकी प्रेरणा और मार्गदर्शन स्वीकार करते हैं।

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